जय श्री महाकाल 🙏 आप सभी को उज्जैन पधारने का धन्यवाद!
मंदिर के पुजारी भक्तों के द्वारा चढ़ाए गए प्रसाद को एक प्लेट में उढ़ेल कर भगवान के मुख से लगा देते हैं और देखते ही देखते भक्तों की आंखों के सामने ये प्रसाद भगवान भैरोनाथ पी जाते हैं। ये ऐसा चमत्कार है जिसे देखने के बाद भी विश्वास करना एक बार को कठिन हो जाता है। क्योंकि मदिरा से भरी हुई प्लेट पलभर में खाली हो जाती है। इसके अतिरिक्त जब भी किसी भक्त को मुकदमे में विजय हासिल होती है तो बाबा के दरबार में आकर मावे के लड्डू का प्रसाद चढ़ाते हैं। तो वहीं किसी भक्त की सूनी गोद भर जाती है तो वो यहां बाबा को बेसन के लड्डू और चूरमे का भोग लगाते हैं। प्रसाद चाहे कोई भी क्यों न हो बाबा के दरबार में आने वाला हर भक्त कोई ना कोई समस्या लेकर आता है और बाबा काल भैरव अपने आशीर्वाद से उसके कष्टों को हर लेते हैं।
काल बेरव के पास ही स्थित राजा भर्तृहरि की गुफा मोजूद है इस के संबंध में माना जाता है कि आज से लगभग ढाई हजार वर्ष पहले उज्जैन के राजा भर्तृहरि (Bhartrihari Cave in Ujjain) ने गुरु गोरखनाथ जी के संपर्क में आने के बाद वैराग्य धारण कर लिया था और तपस्या के लिए चले गए थे। जिसके बाद राजा भर्तृहरि ने इसी गुफा में लगभग 12 वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। कहा जाता है कि राजा भर्तृहरि द्वारा बारह वर्षों की अपनी इस कठीन तपस्या को पूर्ण करने के बाद भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन भी दिए थे।
राजा से योगी बने भर्तृहरि की इतनी कठोर तपस्या से देवराज इंद्र को भी डर लगने लगा था कि कहीं ऐसा न हो कि तपस्या के बल पर भगवान शंकर से वरदान मांगकर भर्तृहरि स्वर्ग पर आक्रमण कर दे। यही सोचकर इंद्र ने गुफा में बैठकर तपस्या कर रहे भर्तृहरि पर एक विशाल पत्थर गिरा दिया। लेकिन भर्तृहरि ने उस पत्थर को एक हाथ से रोक लिया और उसी तरह तपस्या में बैठे रहे। राजा भर्तृहरि के हाथ का निशान आज भी गुफा में मोजूद है !
विशेष-: उज्जैन को City of Temple भी कहा जाता है यह के और विशेष मंदिर है जह आप भ्रमण कर सकते है!
इस्कॉन टेम्पल
बड़ा गणेश
चिंतामन गणेश
गड काली माता मंदिर
केडी पैलेस आदि
अंत में में आपको विशेष ध्यान दिलाना चाहूगा कि 2-3 दिन में आप उज्जैन सम्पूर्ण दर्शन और भस्म आरती का लाभ और ओम्कार्रेश्वर दर्शन आराम से कर सकते है बस आप सही प्लान करगे तो आप सही समय पर सभी जहग का आनंद ले सकेगे!