जय श्री महाकाल 🙏 आप सभी को उज्जैन पधारने का धन्यवाद!
आप को आज उज्जैन के प्रमुख मंदिर कि जानकारी के साथ साथ यह भी प्लान बताना चाहूगा कि किस मंदिर के दर्शन पहले और अंत में करे जिससे आप अपना समय का सही तरीके से यूटिलाइजेशन कर सके और प्रतेक मंदिर के दर्शन कर सके!
जय महाकाल का नाम लेकर हम उज्जैन घुमने का प्लान करते है! तो चलये हम सबसे पहले महाकाल मंदिर से शुरुवात करते है अगर आप पहली बार उज्जैन आ रहे है तो कम से कम 2-3 दिन का प्लान कर के आए जिससे आप अच्छी तरह से घूम सके! सर्वप्रथम आप महाकाल भगवान के दर्शन करने का लाभ लेवे अगर आप सुबह 10:am बजे के पहले उज्जैन में आ जाते है तो महाकाल मन्दिर से अपनी शुरुवात कर सकते है! ताकि आपके पास बाकि सारे मंदिर घुमने का पर्याप्त समय मिल जाए या फिर आप उसी दिन उज्जैन से 140KM (One side) दूर दुसरे ज्योतिर्लिंग ओम्कार्रेश्वर का भी प्लान कर सकते है जिसके लिए आपको सुबह 10 बजे के पहले निकलना होगा जिससे आप एक ही दिन में वापस उज्जैन आ सकते है! जिसमे आपको आने और जाने में कम से कम 7-8घंटे लग सकते है क्योंकि रास्ता घाट और पहाड़ी को काटते हुए निकला है और नर्मदा नदी के घाट घुमने में भी जादा समय व् आनंद आता है जिसके लिये आप पब्लिक ट्रांसपोर्ट या प्राइवेट टैक्सी या उज्जैन से बाइक रेंट पर लेकर भी जा सकते है!
विशेष जानकारी-: उज्जैन में होटल या धर्मशाला हेतु आप 2 जगहों का चयन कर सकते उज्जैन रेलवे स्टेशन के पास आप को बहुत सारे होटल/धर्मशाल के ऑप्शन मिलजाएगे या फिर आप महाकाल मंदिर के पास भी रुक सकते है जिसमे हर तरह के बजट अनुसार ट्रस्ट होटल/धर्मशाला/प्राइवेट होटल मिल जाते है हमारी विशेष राय है कि आप प्रथम महाकाल मंदिर के पास रुकने का प्लान करे! रेलवे स्टेशन से मंदिर कि दुरी 2KM है!
महाकाल मंदिर से दर्शन होने के बाद आप पास ही में हरसिधी माता मंदिर का प्लान करे! क्योंकि यह महाकाल मंदिर के सबसे पास है और 51 शक्ति पीठ में एक शक्ति पीठ होने से माता के दर्शन का विशेष महत्त्व है खास बात व् माता के दर्शन का लाभ नवरात्रि के समय अत्यधिक होता है!
राम घाट यह भी महाकाल मंदिर से बिलकुल नजदीक है और आप चाहे तो सुबह शिप्रा नदी में डुबकी लगाने के बाद महाकाल दर्शन कर सकते है किन्तु आप राम घाट का आनंद शाम को शिप्रा नदी के आरती के समय विशेष लाभ ले सकते है आप को शिप्रा नदी का घाट शाम के वक्त सबसे सुकून व् आनदं देने का स्थान साबित हो सकता है !
जय श्री कृष्णा
अब आप उज्जैन शहर से आउट साइड वाले मंदिर का प्लान कर सकते है जिसके लिये आप बाइक रेंट या ऑटो के जरिये सारे आउट साइड मन्दिर भ्रमण कर सकते है! यह मंदिर सबसे पहले रास्ते में आता है! यहा श्रीकृष्ण, बलराम एवं सुदामा जी का शिक्षा स्थल रहा है जहा गुरु संदीपनी जी द्वारा 14 विध्या का ज्ञान दिया गया है!
मंगलनाथ यह मंदिर भी अपना विशेष महत्त्व रखता है यह पर मंगल दोष निवारण पूजा अर्चना कि जाती है और यहां मन्दिर भी गुरु संदीपनी आश्रम से कुछ ही दुरी पर स्थित है!

अगला स्थान काल भेरव मंदिर जह शिव अपने भैरव स्वरूप में विराजते हैं। वैसे तो भगवान शिव का भैरव स्वरूप रौद्र और तमोगुण प्रधान रूप है लेकिन कालभैरव अपने भक्त की करूण पुकार सुनकर उसकी सहायता के लिए दौड़े चले आते हैं। काल भैरव के इस मंदिर में मुख्य रूप से मदिरा का ही प्रसाद चढ़ता है।
मंदिर के पुजारी भक्तों के द्वारा चढ़ाए गए प्रसाद को एक प्लेट में उढ़ेल कर भगवान के मुख से लगा देते हैं और देखते ही देखते भक्तों की आंखों के सामने ये प्रसाद भगवान भैरोनाथ पी जाते हैं। ये ऐसा चमत्कार है जिसे देखने के बाद भी विश्वास करना एक बार को कठिन हो जाता है। क्योंकि मदिरा से भरी हुई प्लेट पलभर में खाली हो जाती है। इसके अतिरिक्त जब भी किसी भक्त को मुकदमे में विजय हासिल होती है तो बाबा के दरबार में आकर मावे के लड्डू का प्रसाद चढ़ाते हैं। तो वहीं किसी भक्त की सूनी गोद भर जाती है तो वो यहां बाबा को बेसन के लड्डू और चूरमे का भोग लगाते हैं। प्रसाद चाहे कोई भी क्यों न हो बाबा के दरबार में आने वाला हर भक्त कोई ना कोई समस्या लेकर आता है और बाबा काल भैरव अपने आशीर्वाद से उसके कष्टों को हर लेते हैं।

काल बेरव के पास ही स्थित राजा भर्तृहरि की गुफा मोजूद है इस के संबंध में माना जाता है कि आज से लगभग ढाई हजार वर्ष पहले उज्जैन के राजा भर्तृहरि (Bhartrihari Cave in Ujjain) ने गुरु गोरखनाथ जी के संपर्क में आने के बाद वैराग्य धारण कर लिया था और तपस्या के लिए चले गए थे। जिसके बाद राजा भर्तृहरि ने इसी गुफा में लगभग 12 वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। कहा जाता है कि राजा भर्तृहरि द्वारा बारह वर्षों की अपनी इस कठीन तपस्या को पूर्ण करने के बाद भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन भी दिए थे।
राजा से योगी बने भर्तृहरि की इतनी कठोर तपस्या से देवराज इंद्र को भी डर लगने लगा था कि कहीं ऐसा न हो कि तपस्या के बल पर भगवान शंकर से वरदान मांगकर भर्तृहरि स्वर्ग पर आक्रमण कर दे। यही सोचकर इंद्र ने गुफा में बैठकर तपस्या कर रहे भर्तृहरि पर एक विशाल पत्थर गिरा दिया। लेकिन भर्तृहरि ने उस पत्थर को एक हाथ से रोक लिया और उसी तरह तपस्या में बैठे रहे। राजा भर्तृहरि के हाथ का निशान आज भी गुफा में मोजूद है !
विशेष-: उज्जैन को City of Temple भी कहा जाता है यह के और विशेष मंदिर है जह आप भ्रमण कर सकते है!
इस्कॉन टेम्पल
बड़ा गणेश
चिंतामन गणेश
गड काली माता मंदिर
केडी पैलेस आदि
अंत में में आपको विशेष ध्यान दिलाना चाहूगा कि 2-3 दिन में आप उज्जैन सम्पूर्ण दर्शन और भस्म आरती का लाभ और ओम्कार्रेश्वर दर्शन आराम से कर सकते है बस आप सही प्लान करगे तो आप सही समय पर सभी जहग का आनंद ले सकेगे!
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